Astrology
ज्योतिष शास्त्र एक प्रत्यक्ष शास्त्र है जो की समाज के प्रत्येक व्यक्ति के लिए आदि काल से ही अत्यंत उपयोगी रहा है। ज्योतिष शास्त्र के द्वारा काल ज्ञान, विभिन्न मुहूर्त, शुभाशुभ सूचनाओं का ज्ञान किया जाता है । मानव जीवन में ऐसे कई प्रश्न होते हैं जिनके समाधान के लिए ज्योतिष शास्त्र की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। यह सामग्री ज्योतिष के क्षेत्र में कार्यरत विशेषज्ञता रखने वाले व्यक्ति को ज्योतिषी कहलाता है। ज्योतिष का मूल मकसद व्यक्ति को उसके जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सफलता और सुख की प्राप्ति में मदद करना है।
ज्योतिषी व्यक्ति के जन्म के समय का विशेष ध्यान रखता है, क्योंकि मान्यता है कि जन्म के समय का गहरा असर उसके भविष्य पर पड़ता है। ज्योतिष विद्या में 12 राशियां और 9 ग्रहों का महत्वपूर्ण स्थान है, और इनकी स्थिति का अध्ययन करके ज्योतिषी व्यक्ति को व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं का सामग्री प्रदान कर सकता है।
ज्योतिष में कुण्डली मिलान, वास्तु शास्त्र, मुहूर्त, और रत्न शास्त्र जैसी विभिन्न शाखाएं होती हैं, जिनका अध्ययन करके ज्योतिषी व्यक्ति को उचित सलाह देता है। उनका काम लोगों को उनके संदर्भ में सही निर्णय लेने में मदद करना है और उन्हें उनके जीवन में सफलता और खुशियाँ प्राप्त करने के लिए मार्गदर्शन करना है।
“अप्रत्यक्षाणी शास्त्राणी विवाद्स्तेषु केवलम ! प्रत्यक्षं ज्योतिषं शास्त्रं चन्द्रार्कौ यत्र साक्षिनौ” !!
अर्थात समस्त “शास्त्र” अप्रत्यक्ष है! परन्तु एक ज्योतिष शास्त्र ही ऐसा है जो “प्रत्यक्ष” है,जिसके साक्षी “चन्द्र” और “सूर्य” है ! वेद में भी कहा गया है कि “चन्द्रमा मनसो जातश्चक्षो:सूर्योअजायत”! अर्थात “चन्द्रमा” वेद के मन से उत्पन्न हुए है तथा वेद के नेत्रों से“सूर्य” की उत्पत्ति कही गयी है !वेदांग ज्योतिष में वेद का सर्वोतम अंग कहा गया है :__”
“ यथा शिखामयुराणाम नागाणाम मणयो यथा ! तद्वदवेदांगशास्त्राणाम गणितं मूर्धनिस्थितम !!